
पटना, 17 अक्टूबर 2025 : बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की रणभेरी बजने से पहले महागठबंधन ने आखिरकार सीट बंटवारे का फॉर्मूला अंतिम रूप दे दिया है। देर रात तक चली तनातनी के बाद विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के प्रमुख मुकेश साहनी को 15 सीटें आवंटित की गई हैं, जबकि कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) यानी सीपीआई(एमएल) को 20 सीटें मिली हैं। शेष 208 सीटें राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) और कांग्रेस के बीच बंटवारे के योग्य मानी जा रही हैं, जिसमें आरजेडी को अधिकांश हिस्सा मिलने की संभावना है।
इस समझौते से महागठबंधन में दरार की आशंकाएं कम हुई हैं, लेकिन साहनी की महत्वाकांक्षाओं ने अंतिम क्षणों में काफी हलचल मचा दी थी। साहनी ने स्पष्ट कर दिया है कि वे खुद चुनावी मैदान में नहीं उतरेंगे, लेकिन पूरे 243 विधानसभा सीटों पर गठबंधन के उम्मीदवारों के लिए जोरदार प्रचार करेंगे। उन्होंने कहा, “मैं वीआईपी के माध्यम से निषाद, मल्लाह और अन्य पिछड़े वर्गों के हितों की रक्षा करूंगा। गठबंधन की जीत ही मेरी प्राथमिकता है।” वीआईपी प्रमुख ने यह भी संकेत दिया कि चुनाव के बाद उन्हें दो विधान परिषद (एमएलसी) सीटें और एक राज्यसभा सदस्यता का वादा किया गया है, जो उनकी पार्टी को मजबूत बनाएगा।
नामांकन की अंतिम तिथि होने के ठीक पहले यह फैसला लिया गया, जब साहनी ने गौड़ा बौराम सीट से खुद का नामांकन दाखिल करने का ऐलान किया था। हालांकि, अब उनके साथी बाल गोविंद भभुआ से नामांकन भरेंगे। यह सीटें मुख्य रूप से निषाद-प्रधान इलाकों में हैं, जो जातीय समीकरण को मजबूत करने का प्रयास दर्शाती हैं। वीआईपी निषाद समुदाय का प्रमुख प्रतिनिधित्व करती है, जो बिहार की सियासत में निर्णायक भूमिका निभा सकता है। महागठबंधन के सूत्रों के मुताबिक, यह समझौता गुरुवार देर रात तेजस्वी यादव के आवास पर लंबी चर्चाओं के बाद तय हुआ, जिसमें कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व की भी भूमिका रही। राहुल गांधी ने व्यक्तिगत रूप से साहनी से बात की और लालू प्रसाद यादव से भी फोन पर चर्चा की, जिससे विवाद सुलझा।
महागठबंधन के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “साहनी उपमुख्यमंत्री पद की मांग कर रहे थे, लेकिन गठबंधन ने उन्हें आश्वासन दिया कि जीत के बाद उनकी पार्टी को महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां दी जाएंगी।” इससे पहले साहनी की नाराजगी चरम पर पहुंच गई थी, जब उन्होंने गठबंधन से अलग होने की धमकी दी थी। लेकिन विपक्षी गठबंधन ने अंतिम समय में संकट टाल लिया। इसी बीच, कांग्रेस ने अपनी पहली उम्मीदवार सूची जारी कर दी, जिसमें 48 नाम शामिल हैं, जो महागठबंधन की एकजुटता का संकेत देती है।
दूसरी ओर, सत्ताधारी एनडीए ने अपनी पूरी सूची पहले ही घोषित कर दी है और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की बिहार यात्रा से गठबंधन में उत्साह है। शाह ने पटना में नीतीश कुमार से मुलाकात की और महागठबंधन की आंतरिक कलह पर तंज कसा, “विपक्ष टूटने की कगार पर है, लेकिन हम मजबूत हैं।” चुनाव आयोग ने भी काले धन और शराब पर सख्ती के निर्देश जारी किए हैं, जो मतदान की निष्पक्षता सुनिश्चित करेगा।
यह सीट बंटवारा बिहार की सियासत में नया अध्याय जोड़ सकता है, जहां 6 और 11 नवंबर को दो चरणों में वोटिंग होगी। नामांकन की जांच 21 अक्टूबर से शुरू हो जाएगी। विशेषज्ञों का मानना है कि महागठबंधन अगर एकजुट रहा, तो एनडीए के लिए चुनौती बढ़ सकती है। वीआईपी का समर्थन निषाद वोट बैंक को विपक्ष की ओर मोड़ सकता है, जो 2020 के चुनावों में निर्णायक साबित हुआ था।
