
कुआलालंपुर, 20 अक्टूबर 2025 : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 26 से 28 अक्टूबर तक मलेशिया की राजधानी कुआलालंपुर में आयोजित 47वें आसियान शिखर सम्मेलन और पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। यह यात्रा न केवल भारत-आसियान संबंधों को मजबूत करने का अवसर प्रदान करेगी, बल्कि क्वाड और ब्रिक्स जैसे वैश्विक समूहों के नेताओं के साथ द्विपक्षीय चर्चाओं के जरिए वैश्विक आर्थिक चुनौतियों पर भारत की रणनीतिक भूमिका को रेखांकित करेगी। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप समेत क्वाड के अन्य नेताओं और ब्रिक्स के प्रमुख सदस्यों से मुलाकात की संभावना से यह सम्मेलन और भी महत्वपूर्ण हो गया है।
भारत-आसियान व्यापार समझौते की समीक्षा
प्रधानमंत्री मोदी की इस यात्रा का मुख्य फोकस दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के नेताओं के साथ आसियान से जुड़ी बैठकों पर होगा। इसमें आसियान-भारत व्यापार वस्तुओं समझौते की समीक्षा प्रमुख होगी, जो दोनों पक्षों के बीच व्यापार को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण है। विदेश मंत्रालय के आर्थिक संबंध विभाग के सचिव सुधाकर दलेला ने बताया कि वैश्विक आर्थिक मंदी, निवेश प्रवाह में अनिश्चितता, ब्याज दरों में उतार-चढ़ाव, एकतरफा उपायों और आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान जैसी चुनौतियां विशेष रूप से वैश्विक दक्षिण के देशों को प्रभावित कर रही हैं। पीएम मोदी इन मुद्दों पर आसियान नेताओं के साथ रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने पर जोर देंगे। मलेशियाई विदेश मंत्री मोहामद हसन ने पुष्टि की है कि पीएम मोदी सम्मेलन में भाग लेंगे।
ट्रंप के साथ द्विपक्षीय वार्ता की उम्मीद
सम्मेलन के साइडलाइन्स पर पीएम मोदी को क्वाड (भारत, अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया) के अन्य सदस्य देशों के नेताओं से मिलने का मौका मिलेगा। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की उपस्थिति विशेष रूप से चर्चा का केंद्र बनी हुई है। भारतीय और अमेरिकी अधिकारियों के बीच चल रही बातचीत के मुताबिक, पीएम मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप के बीच द्विपक्षीय बैठक तय करने की कोशिशें तेज हैं। यह बैठक क्वाड शिखर सम्मेलन के आयोजन पर केंद्रित हो सकती है, जिसे मूल रूप से 2025 में भारत में आयोजित करने की योजना थी, लेकिन भारत-अमेरिका तनाव के कारण इसे 2026 तक टाल दिया गया है।
पिछले तनावों में पन्नू मामले, ट्रंप की व्यापार नीतियां, टैरिफ युद्ध और भारत-पाकिस्तान से जुड़े नोबेल पुरस्कार नामांकन जैसे मुद्दे शामिल हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप की ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति, जलवायु समझौतों से पीछे हटना और वैक्सीन अनुसंधान के लिए सहायता में कटौती क्वाड की मजबूती के लिए चुनौती हैं, खासकर फार्मास्यूटिकल्स और खनिजों में आपूर्ति श्रृंखला को जोखिम-मुक्त बनाने के लक्ष्यों के संदर्भ में। जापान और ऑस्ट्रेलिया के नेताओं के साथ भी पीएम मोदी क्वाड की प्रगति पर चर्चा करेंगे।
2026 की अध्यक्षता की तैयारी
दूसरी ओर, ब्रिक्स समूह के संस्थापक सदस्यों के साथ पीएम मोदी की मुलाकातें वैश्विक दक्षिण की चुनौतियों को संबोधित करने में अहम होंगी। इसमें चीनी प्रधानमंत्री ली कियांग और रूसी प्रतिनिधिमंडल के साथ बैठक शामिल है। इसके अलावा, ब्राजील के राष्ट्रपति लूला दा सिल्वा और दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा जैसे पर्यवेक्षकों से भी चर्चा होगी। भारत 2026 में 11 सदस्यीय ब्रिक्स समूह की अध्यक्षता संभालेगा और इसका शिखर सम्मेलन आयोजित करेगा, जो ब्रिक्स के 20 वर्ष पूरे होने का प्रतीक होगा।
ट्रंप की ब्रिक्स सदस्यों पर 100% टैरिफ की धमकी, ईरान पर प्रतिबंध और रूसी तेल खरीद को लेकर भारत के खिलाफ संभावित दबाव जैसे मुद्दे चर्चा का हिस्सा बन सकते हैं। पीएम मोदी ब्रिक्स के माध्यम से बहुपक्षीय चुनौतियों का सामना करने की रणनीति पर जोर देंगे।
भारत की दुविधा: क्वाड और ब्रिक्स के बीच संतुलन
यह सम्मेलन भारत के लिए एक बड़ी कूटनीतिक चुनौती है, क्योंकि भारत क्वाड (अमेरिका और सहयोगियों के साथ) और ब्रिक्स (रूस-चीन के साथ) दोनों समूहों का एकमात्र साझा सदस्य है। विशेषज्ञों ने एक बंद कमरे की बैठक में कहा कि ये दो विपरीत समूह हैं, लेकिन भारत इनके बीच संतुलन बनाकर वैश्विक स्थिरता सुनिश्चित कर सकता है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि पीएम मोदी की यात्रा से भारत की ‘एक्ट ईस्ट’ नीति को नई गति मिलेगी।
