पटना, 15 अक्टूबर 2025 – मगध क्षेत्र में अपनी पकड़ मजबूत करने की रणनीति के तहत, पूर्व बिहार मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के नेतृत्व वाली हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (सेक्युलर) – या HAM(S) – ने मंगलवार को आगामी बिहार विधानसभा चुनाव के लिए अपने छह उम्मीदवारों के नामों का ऐलान कर दिया। राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन (NDA) की सीट बंटवारे की घोषणा के बीच यह सूची जारी की गई, जिसमें पार्टी प्रमुख के परिवार के सदस्यों को प्रमुखता दी गई है, जो विरासत की राजनीति और जमीनी स्तर पर जुटाव का मिश्रण दर्शाती है।
यह घोषणा चुनाव से कुछ ही हफ्तों पहले की गई है, जब बिहार विधानसभा चुनाव दो चरणों में 6 और 11 नवंबर को होंगे, जबकि मतगणना 20 नवंबर को होगी। NDA समझौते के तहत HAM(S) को मुख्य रूप से गया और औरंगाबाद जिलों में छह सीटें आवंटित की गई हैं, जहां दलित और अत्यंत पिछड़े वर्ग (EBC) मतदाताओं के बीच पार्टी को मजबूत समर्थन प्राप्त है। यह आवंटन व्यापक वितरण का हिस्सा है, जिसमें भारतीय जनता पार्टी (BJP) और जनता दल (यूनाइटेड) – या JD(U) – को क्रमशः 101-101 सीटें मिली हैं।
सूची में सबसे आगे हैं दीपा कुमारी, जीतन राम मांझी की बहू और इमामगंज (SC आरक्षित सीट) से वर्तमान विधायक। 42 वर्षीय दीपा ने 2020 में 10,000 से अधिक वोटों के अंतर से यह सीट जीती थी और अब विपक्ष के उभरते खतरे के बीच अपनी सीट बरकरार रखने को तैयार हैं। उनकी उम्मीदवारी मुस्लिम बहुल इस निर्वाचन क्षेत्र में मतदाता वफादारी बनाए रखने के लिए HAM की पारिवारिक बंधनों पर निर्भरता को रेखांकित करती है।
उनके साथ हैं ज्योति देवी, मांझी की भाभी (पार्टी हलकों में अक्सर “समधन” या रिश्तेदार पक्ष से जुड़ी बताई जाती हैं), जो बरचट्टी (SC आरक्षित) से चुनाव लड़ेंगी। वर्तमान विधायक देवी आदिवासी और महादलित अधिकारों की मुखर वकील रही हैं, और अपनी राजनीतिक उन्नति का श्रेय भाई साहब के मार्गदर्शन को देती हैं।
पूरी सूची इस प्रकार है:
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अनिल कुमार – तेकारी से, 2020 में RJD से सीट छीनने वाले वर्तमान विधायक।
रोमित कुमार – अत्री से, शहरी पहुंच बढ़ाने के लिए नया चेहरा।
प्रफुल्ल कुमार मांझी – जमुई जिले के सिकंदरा से, EBC एकीकरण पर निशाना।
ललन राम – औरंगाबाद के कुटुंबा से, क्षेत्र की कृषि समस्याओं पर फोकस।
इनमें से चार वर्तमान विधायक हैं, जो राज्य में एंटी-इनकंबेंसी के बावजूद HAM की सत्ता लाभ को दर्शाता है।
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पटना में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में बोलते हुए, मांझी ने आशावादी लहजे में कहा, “ये सीटें मगध में हमारा किला हैं। नीतीश कुमार और नरेंद्र मोदी के नेतृत्व और जनता के आशीर्वाद से हम बिहार के विकास को मजबूत करेंगे।” उन्होंने गठबंधन के शीर्ष नेताओं का हवाला देते हुए पार्टी कार्यकर्ताओं से “परिवार की तरह एकजुट” रहने की अपील की।
हालांकि, घोषणा के बीच NDA के भीतर तनाव के संकेत भी दिखे। मांझी ने सीमित सीट हिस्से – जो 2020 के नौ से घटकर छह रह गया – पर खुली नाराजगी जताई थी। मंगलवार देर रात X (पूर्व ट्विटर) पर पोस्ट में उन्होंने लिखा: “छह सीटें शुरुआत हैं, लेकिन हमारे कार्यकर्ताओं को और मिलना चाहिए। हम कड़ी मेहनत करके अपना मूल्य साबित करेंगे।” पार्टी के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि यह भविष्य की बातचीत में रियायतें हासिल करने की मुद्रा हो सकती है, हालांकि तत्काल कोई फूट नजर नहीं आ रही।
HAM के चयन NDA की व्यापक रणनीति से मेल खाते हैं, जो महागठबंधन (RJD-कांग्रेस-वाम) के दलितों – जो बिहार की लगभग 16% आबादी हैं – की आक्रामक पहुंच का मुकाबला करने का प्रयास है। मांझी का दलित चेहरा NDA के लिए महत्वपूर्ण है, खासकर जब विपक्ष लालू प्रसाद यादव के नेतृत्व में सामाजिक न्याय के एजेंडे को तेज कर रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि इन पारिवारिक उम्मीदवारों से HAM को वोट ट्रांसफर में मदद मिलेगी, लेकिन कम सीटें पार्टी की महत्वाकांक्षा को सीमित भी कर सकती हैं।
चुनावी मौसम गर्माता जा रहा है, और HAM का यह ऐलान NDA की एकजुटता का परीक्षण करेगा। क्या मांझी का परिवार एक बार फिर मगध को जीतेगा? नजरें चुनावी नतीजों पर टिकी हैं।
