कोच्चि, 16 अक्टूबर 2025 (न्यूज डेस्क): केरल के एर्नाकुलम जिले के पलुरुथी स्थित सेंट रीटा पब्लिक स्कूल में एक मुस्लिम छात्रा के हिजाब पहनने को लेकर भड़के विवाद ने राजनीतिक और सामाजिक बहस को जन्म दे दिया है। लैटिन कैथोलिक चर्च द्वारा संचालित इस सीबीएसई संबद्ध स्कूल ने छात्रा को यूनिफॉर्म कोड का उल्लंघन बताते हुए कक्षा में प्रवेश से रोका था। राज्य सरकार ने स्कूल प्रबंधन को हिजाब पहनने की अनुमति देने का निर्देश दिया है, लेकिन छात्रा के पिता ने विवाद को साम्प्रदायिक रंग देने से बचने के लिए स्कूल के ड्रेस कोड का पालन करने का फैसला किया है। विवाद के कारण स्कूल को दो दिनों के लिए बंद करना पड़ा था, और केरल हाईकोर्ट ने सुरक्षा के लिए पुलिस तैनाती का आदेश दिया था।
विवाद 7 अक्टूबर को तब भड़का जब कक्षा 8 की मुस्लिम छात्रा फातिमा थासनीम स्कूल पहुंची और उसने हिजाब (सिर, गर्दन और कान ढकने वाली स्कार्फ) पहन रखा था। स्कूल प्रबंधन ने इसे स्कूल के निर्धारित यूनिफॉर्म कोड का उल्लंघन बताते हुए छात्रा को कक्षा के बाहर खड़ा कर दिया। स्कूल की प्रिंसिपल सिस्टर हेलेना आरसी ने बताया कि छात्रा ने पिछले चार महीनों तक बिना हिजाब के स्कूल का ड्रेस कोड फॉलो किया था, और प्रवेश के समय सभी अभिभावकों को इसकी जानकारी दी गई थी। प्रिंसिपल ने कहा, “यूनिफॉर्म में एकरूपता बनाए रखना स्कूल का मूल सिद्धांत है, और यह नियम सभी छात्रों पर समान रूप से लागू होता है।”
छात्रा के पिता अनस ने शिक्षा विभाग को शिकायत दर्ज कराई कि उनकी बेटी को धार्मिक कारणों से हिजाब पहनने का अधिकार है, और स्कूल का रवैया संविधान के अनुच्छेद 25 (धार्मिक स्वतंत्रता) का उल्लंघन है। उन्होंने बताया कि छात्रा ने पहले स्कार्फ को बिना पिन किए पहना था, लेकिन हाल ही में धार्मिक विश्वास के कारण पूर्ण हिजाब अपनाया। 10 अक्टूबर को जब छात्रा फिर हिजाब पहनकर आई, तो स्कूल ने उसे कक्षा से बाहर ही रखा, जिससे वह मानसिक रूप से आहत हुई।
विवाद तेज होने पर 13 अक्टूबर को पैरेंट-टीचर एसोसिएशन (पीटीए) ने सुरक्षा कारणों का हवाला देकर दो दिनों (13 और 14 अक्टूबर) के लिए स्कूल बंद करने का ऐलान कर दिया। स्कूल प्रबंधन ने आरोप लगाया कि छात्रा के पिता को सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) जैसे संगठनों का समर्थन मिला है, और उनके सदस्यों ने स्कूल स्टाफ (ज्यादातर नन) के साथ दुर्व्यवहार किया। पीटीए अध्यक्ष जोशी कैथावलप्पिल ने कहा, “छात्रा के माता-पिता और बाहरी लोगों ने स्कूल में हंगामा किया, जिससे शिक्षकों और छात्रों में डर का माहौल बन गया।”
भय के कारण स्कूल ने केरल हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जिसने तत्काल पुलिस सुरक्षा प्रदान करने का आदेश दिया। 15 अक्टूबर को स्कूल दोबारा खुला, लेकिन भारी पुलिस बल की मौजूदगी में। इस दौरान पूर्व बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष के. सुरेंद्रन ने सोशल मीडिया पर टिप्पणी की, जिसमें उन्होंने इसे “धार्मिक कट्टरवाद” बताते हुए कम्युनिस्ट सरकार पर निशाना साधा। विपक्ष ने इसे राजनीतिकरण का आरोप लगाया।
शिकायत मिलते ही शिक्षा विभाग ने संज्ञान लिया। 13 अक्टूबर को एर्नाकुलम जिला शिक्षा अधिकारी के नेतृत्व में एक टीम ने स्कूल का दौरा किया और प्रिंसिपल सहित अधिकारियों के बयान दर्ज किए। डिप्टी डायरेक्टर ऑफ एजुकेशन (एर्नाकुलम) सुबिन पॉल की रिपोर्ट में स्कूल प्रबंधन की “गंभीर चूक” उजागर हुई। रिपोर्ट के अनुसार, छात्रा को हिजाब के कारण कक्षा से बाहर रखना शिक्षा का अधिकार (आरटीई एक्ट) और संविधान के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।
शिक्षा मंत्री वी. शिवकुट्टी ने 14 अक्टूबर को बयान जारी कर कहा, “केरल जैसे धर्मनिरपेक्ष राज्य में किसी छात्र को धार्मिक प्रतीकों के कारण शिक्षा से वंचित नहीं किया जा सकता। स्कूल प्रबंधन ने मौलिक अधिकारों का उल्लंघन किया है।” उन्होंने स्कूल को तत्काल हिजाब पहनने की अनुमति देने और आगे ऐसी घटनाओं से बचने के निर्देश दिए। मंत्री ने स्पष्ट किया कि यूनिफॉर्म नियमों का सम्मान जरूरी है, लेकिन धार्मिक अभ्यास को समायोजित करने के लिए लचीलापन बरतना चाहिए। स्कूल को हिजाब का रंग और डिजाइन निर्दिष्ट करने की छूट दी गई है।
विवाद के बीच एर्नाकुलम से कांग्रेस सांसद हिबी ईडन और जिला कांग्रेस अध्यक्ष मोहम्मद शियास ने मध्यस्थता की। 14 अक्टूबर को आयोजित बैठक में छात्रा के पिता अनस ने सहमति जताई कि उनकी बेटी स्कूल के नियमों का पालन करेगी। अनस ने कहा, “मैं नहीं चाहता कि इस मुद्दे को बाहरी तत्व राजनीतिक रूप से इस्तेमाल करें। मेरी बेटी यूनिफॉर्म के साथ पढ़ाई जारी रखेगी।” ईडन ने कहा कि यह फैसला धर्मनिरपेक्ष मूल्यों को मजबूत करता है, और सोशल मीडिया पर साम्प्रदायिक化 करने वालों पर कानूनी कार्रवाई होगी।
हालांकि, सरकारी निर्देश आने के बाद भी अभिभावक का रुख नहीं बदला। शिक्षा विभाग ने कहा कि शिकायत वापस होने पर आगे जांच की जरूरत नहीं, लेकिन स्कूल को निर्देशों का पालन करने की चेतावनी दी गई। स्कूल प्रबंधन ने डिप्टी डायरेक्टर की रिपोर्ट को “तथ्यात्मक रूप से गलत” बताते हुए कोर्ट जाने की बात कही।
यह विवाद केरल में हिजाब को लेकर उठ रही बहस को तेज कर रहा है। हाल ही में थिरुवनंतपुरम के क्राइस्ट नगर पब्लिक स्कूल मामले में केरल हाईकोर्ट ने कहा था कि छात्राओं का हिजाब पहनने का व्यक्तिगत अधिकार स्कूल के प्रबंधकीय अधिकारों के साथ तौला जाना चाहिए। विशेषज्ञों का मानना है कि सीबीएसई स्कूलों में यूनिफॉर्म नीतियां लचीली होनी चाहिए, ताकि धार्मिक विविधता का सम्मान हो। विपक्षी नेता इसे “राजनीतिकरण” बता रहे हैं, जबकि सरकार इसे “समावेशी शिक्षा” का उदाहरण मान रही है।
स्कूल अब खुला है, और छात्रा की अनुपस्थिति (स्वास्थ्य कारणों से) बताई जा रही है। यह घटना पूरे देश में स्कूलों में धार्मिक अभिव्यक्ति की बहस को नई गति दे सकती है।
